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सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

इन गीतों को मुखरित करदो ....( डा श्याम गुप्त )

                   कविता की भाव-गुणवत्ता के लिए समर्पित


इन गीतों को मुखरित करदो ....( डा श्याम गुप्त )


मेरे गीत तुम्हारा वंदन इन गीतों को मुखरित करदो |
निज उष्मित अधरों के स्वर दे इन गीतों में मधु रस भरदो |
ह्रदय-पत्र पर चले लेखनी पायल के स्वर की मसि भरदो |

---इन गीतों को मुखरित करदो ||

मेरे गीत तुम्हारे मन के स्वर की मधुर कल्पनाएँ हैं|
तेरे मृदुल गात की अनुपम सुकृत सुघर अल्पनायें हैं |
इन गीतों में प्रीति रंग भर इन्द्रधनुष प्रिय विम्बित करदो |

----इन गीतों में मधु रस भरदो ||

इन गीतों में प्रियतम तेरी बांकी चितवन मृदु मुस्कानें |
मादक यौवन की झिलमिल है देह-यष्टि की सुरभित तानें |
खिलती कलियों के सौरभ की खिल खिल खिल मुस्कानें भरदो |

----- इन गीतों को मुखरित करदो ||

इन गीतों में विरह-मिलन के विविध रंग रूपक उपमाएं |
पल पल रंग बदलते जीवन-जग की विविध व्यंजनायें |
मधुर रागिनी सुरभित साँसों की दे इनमें जीवन भरदो |

---इन गीतों में जीवन भरदो||

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